tag:blogger.com,1999:blog-2137573861673086114.post6615705790482309783..comments2024-02-26T23:20:04.386+05:30Comments on लघुकथा-वार्ता Laghukatha-Varta: समकालीन लघुकथा--कुछ सैद्धांतिक सवाल/बलराम अग्रवालबलराम अग्रवालhttp://www.blogger.com/profile/00988526655873868638noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2137573861673086114.post-41153848199112795632009-04-09T22:59:00.000+05:302009-04-09T22:59:00.000+05:30नि:संदेह बेहद सारगर्भित लेख है। मैं दीपक भारतीय की...नि:संदेह बेहद सारगर्भित लेख है। मैं दीपक भारतीय की बात से पूर्णत: सहमत हूँ कि अंतर्जाल पर छोटी रचनाएं ही अधिकांश पाठक पढ़ना पसंद करते हैं। इसलिए अच्छी लघुकथाएं अंतर्जाल पर दी जाएं तो ये खूब मकबूल होंगी।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2137573861673086114.post-84397050670392895432009-03-25T20:23:00.000+05:302009-03-25T20:23:00.000+05:30आपका यह सारगर्भित लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा। ऐसे आल...आपका यह सारगर्भित लेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा। ऐसे आलेख अंतर्जाल पर कम ही पढ़ने को मिलते हैं। लेखक को लघुकथा में अपनी उपस्थिति दिखाने से बचना चाहिये नहीं इससे सहमत हूं। <BR/>एक बात और है कि अंतर्जाल पर बड़ी कहानियों की बजाय लघुकथाएं लिखना ठीक लगता है। ऐसा लगता है कि अंतर्जाल पर संक्षिप्पता की मांग रहेगी। फिर बड़ी कहानियां तभी लिखना ठीक लगता है कि जब प्रारंभ से लेकर आखिर तक पाठक को बांधने के लिये विषय साम्रगी की व्यापकता के साथ उसमें शाब्दिक सौंदर्य होना आवश्यक लगे। लघुकथाएं भी तभी प्रभावी रहती हैं जब उसमें विषय सामग्री को व्यापक ढंग से प्रस्तुतीकरण की आवश्यकता न हो और उसके पात्रों और संवादों की संक्षिप्त पर सशक्त प्रसतुति हो। <BR/>..............................<BR/>दीपक भारतदीपdpkrajhttps://www.blogger.com/profile/11143597361838609566noreply@blogger.com