tag:blogger.com,1999:blog-2137573861673086114.post8106946936636400182..comments2024-02-26T23:20:04.386+05:30Comments on लघुकथा-वार्ता Laghukatha-Varta: लघुकथा : परम्परा और विकास-2 / बलराम अग्रवालबलराम अग्रवालhttp://www.blogger.com/profile/00988526655873868638noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2137573861673086114.post-68844038167464686042016-10-12T18:12:18.815+05:302016-10-12T18:12:18.815+05:30//आदमी खुद नट-बोल्ट होकर घिस रहा है—कहाँ किसको फुर...//आदमी खुद नट-बोल्ट होकर घिस रहा है—कहाँ किसको फुर्सत है कि मोटे-मोटे आख्यान पढ़े।//----- वर्तमान समय पर आदमी को खूब परिभाषित किया है आपने। <br /><br />//<br />लघुकथा से गम्भीरतापूर्वक जुड़े तत्कालीन कथाकारों का ही बूता था कि हास्यास्पद लघुकथाएँ लिखकर ‘सारिका’ में छपने के मोह में वे नहीं फँसे और गम्भीर लेखन से नहीं डिगे।//------- प्रयास को चिंतन के लिये विवश कर सही दिशा दिखाता है यह आलेख भी आपका। मुझे और चीजों को जानना और समझना है आपकी इस श्रृंखला के माध्यम से। <br />मैं भी पाठक बन कर प्रतिक्षारत रहूँगी आगामी अंक के लिये। सादर। LAGHUKATHA VRITT - RNI- MPHIN/2018/77276https://www.blogger.com/profile/10872997248363313917noreply@blogger.com