गुरुवार, 26 जनवरी 2017

समकालीन लघुकथा: विविध आयाम-4 / बलराम अग्रवाल

चौथी किस्त दिनांक 14-01-2017 से आगे…

हिन्दी लघुकथा-लेखन को तत्कालीन ‘समय’ द्वारा सिरे से ही नकार दिये गए आदर्शवादी तथा बोधात्मक कथ्यों से मुक्ति दिलाकर अपने समय के खुरदुरेपन से जोड़ने के सफल प्रयासों के तौर पर बीसवीं सदी का आठवाँ दशक निःसंदेह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रहा है। उक्त दशक के आरम्भ में ‘अतिरिक्त’, ‘अन्तर्यात्रा’,   मिनीयुग’,  कात्यायनी’,  दीपशिखा’,   लघुकथा चौमासिकी’,   प्रयास’,   समग्र’,   वीणा’,   सारिका’,  तारिका’,   कहानीकार’,   प्रगतिशील समाज’,   शिक्षक संसार’,   स्वर्ण दीपिका’,  बम्बार्ड’,   साहित्य निर्झर’,   डिक्टेटर’,   कृतसंकल्प’ ‘गल्पभारती’,   संकल्प’,  दस्तावेज’ एवं ‘यंगपावर’ आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं ने लघुकथा को सौष्ठव प्रदान करने में अपनी अविस्मरणीय भूमिका निभाई। आठवें एवं नौवें दशक में ‘गुफाओं से मैदान की ओर’ (1974,   सं. भगीरथ व रमेश जैन),   श्रेष्ठ लघुकथाएँ’ (1977,   सं. शंकर पुणताम्बेकर),   समान्तर लघुकथाएँ’ (1977,   सं. नरेन्द्र मौर्य व नर्मदा प्रसाद उपाध्याय),   छोटी-बड़ी बातें’ (1978,   सं. महावीर प्रसाद जैन व जगदीश कश्यप),  आठवें दशक की लघुकथाएँ’ (1979,   सं. सतीश दुबे),   तनी हुई मुट्ठियाँ’ (1980,   सं. मधुदीप व मधुकांत),   बिखरे सन्दर्भ’,   ‘(1981,   सं. सतीशराज पुष्करणा),   हालात’,  प्रतिवाद’,   अपवाद’,   आयुध’,   अपरोक्ष’,   ‘(सं. कमल चोपड़ा) ‘लघुकथा: दशा एवं दिशा’ (सं. कृष्ण कमलेश एवं अरविन्द),   लघुकथा: सर्जना एवं मूल्यांकन’ (सं. कृष्णानन्द कृष्ण),   हस्ताक्षर’ (सं. शमीम शर्मा),   आतंक (सं. नन्दल हितैषी),  मानचित्र’,   छोटे-छोटे सबूत’,   पत्थर-से-पत्थर तक’ एवं ‘लावा’ (सं. विक्रम सोनी),  चीखते स्वर’ (सं. नरेन्द्र प्रसाद ‘नवीन’),   लघुकथा: बहस के चैराहे पर’,   आज के प्रतिबिम्ब’,   प्रत्यक्ष’,   हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ लघुकथाएँ’,   अक्स-दर-अक्स’,   तत्पश्चात्’,  मण्टो और उसकी लघुकथाएँ’,   बिहार की हिन्दी लघुकथाएँ’,   बिहार की प्रतिनिधि हिन्दी लघुकथाएँ’,   कथादेश’ (सं. डॉ. सतीशराज पुष्करणा),   कथानामा,   भाग-1,   2 (सं. मनीषराय एवं बलराम),   चारु चेतना’ (सं. सुरेश जांगिड़ ‘उदय’),   आसपास का दर्द’ (सं. सुरेश जांगिड़ ‘उदय’ व मनोज प्रीत),   अनकहे कथ्य’ (सं. अशोक वर्मा),  हरियाणा का लघुकथा संसार’ (सं. रूप देवगुण व राजकुमार निजात),   माहौल’ (सं. राजकुमार निजात),   आदमीनामा’ (सं. सिद्धेश्वर व तारिक असलम ‘तस्लीम’) ‘उत्कर्ष’ (सं. सिद्धेश्वर) ‘कल हमारा है’ (सं. मदन अरोड़ा),   गुजरते लम्हों का दर्द’ (सं. रामयतन प्रसाद यादव),   अभिव्यक्ति’ (सं. रामजी शर्मा ‘रजिका’ एवं शंकर शर्मा ‘सौमित्र’),   जख्मों के गवाह’ (सं. पृथ्वीनाथ पाण्डेय) ‘तीसरा क्षितिज’ एवं ‘मनोबल’ 'शब्द साक्षी हैं' (सं. सतीश राठी),   ऊँची-नीची सड़क’,   हाइफन’,   इलाज’ एवं ‘सम्प्रेषण’,   आजकल’ (सं. डॉ. स्वर्ण किरण व ईश्वर चन्द्र),   यथार्थ’ (सं. अनंत सागर),   व्यंग्य ही व्यंग्य’ (सं. पी. एल. वर्णवाल,   संयोजक ‘अमरनाथ चौधरी ‘अब्ज’) ‘लघु परिवेश’ (सं. योगी साहू किसलय),   रक्तबीज’ (सं. ‘हरि’ एवं घनश्याम),   लघुकथा अनवरत’ (2016,   सं. सुकेश साहनी-रामेश्वर काम्बोज हिमांशु),   बूँद बूँद सागर’ (2016,   सं. जितेन्द्र जीतू-नीरज शर्मा),   समसामयिक हिन्दी लघुकथाएँ’ (2016,   सं. त्रिलोक सिंह ठकुरेला),  पड़ाव और पड़ताल’ (1988,   शृंखला संयोजक: मधुदीप। 2013 में इसके पुनर्मुद्रण के बाद मधुदीप ने इसे शृंखला के रूप में प्रकाशित कर ऐतिहासिक महत्व का कार्य कर दिखाया है। ये पंक्तियाँ लिखे जाने तक इसके 25 खण्ड प्रकाशित हो चुके हैं।),   बन्द दरवाजों पर दस्तकें’ (सं. अशोक लव) ‘मंथन’,   संघर्ष’,   सबूत-दर-सबूत’ (सं. महेन्द्र सिंह महलान-अंजना अनिल),   तलाश जारी है’ (सं. अशोक शर्मा ‘भारती’) आदि अनेक लघुकथा संग्रह व संकलन लघुकथा के विकास को रेखांकित करते हैं। समकालीन लघुकथा की ही बात करें तो अब तक लगभग सभी प्रमुख लघुकथाकारों के एकल संग्रह प्रकाशित व चर्चित हो चुके हैं। इनमें समकालीन कथाकार,   जिनके लघुकथा-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं,   वे हैंअशोक भाटिया,   असगर वजाहत,   अशोक वर्मा,  अमरनाथ चौधरी ‘अब्ज’,   अरुण कुमार,   आज़ाद रामपुरी,   अतुल मोहन प्रसाद,   अंजना अनिल,   अनिल शूर ‘आजाद’,   आशा शैली,   आनन्द,   बलराम,   बलराम अग्रवाल,  भगीरथ,   भगवती प्रसाद द्विवेदी,   चैतन्य त्रिवेदी,   चित्रा मुद्गल,   चन्द्रभूषण सिंह ‘चन्द्र’,   चाँद मुंगेरी,   धर्म स्वरूप,   दीपक मशाल, हरीशंकर परसाई, हीरालाल नागर, ईश्वर चन्द्र,   जगदीश कश्यप,   ज्योति जैन,   जसवीर चावला,   कांता रॉय, किशोर काबरा,   कमलेश भारतीय,   कमल चोपड़ा,   कालीचरण ‘प्रेमी’,  कृष्णशंकर भटनागर,   कृष्ण कमलेश,   के.पी. सक्सेना ‘दूसरे’,   कृष्णा अग्निहोत्री,  लखन स्वर्णिक, महेश दर्पण, महेन्द्र कुमार ठाकुर,    मधुकांत,  मधुदीप,   माधव नागदा,   मीरा जैन,  मालती (महावर) बसंत,   मुकेश कुमार जैन ‘पारस’,  मुकेश जे. रावल,   डॉ. नरेन्द्र नाथ लाहा,   निशा व्यास,   विष्णु प्रभाकर,    नन्दल हितैषी,    पवन शर्मा,    पारस दासोत,  पृथ्वीराज अरोड़ा,   पूरन मुद्गल,   प्रबोध कुमार गोविल,   प्रेमसिंह बरनालवी,   डॉ. रामकुमार घोटड़,   रविकांत झा,   रेखा कारड़ा,    रामकुमार आत्रेय,    रामयतन प्रसाद यादव,   रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’,   डॉ. रामसिया सिंह,   रोशनलाल सुरीरवाला,  रामनिवास ‘मानव’,   रोहित शर्मा, सुरेन्द्र गुप्त,    सुरेन्द्र मंथन,   श्याम सुन्दर ‘सुमन’,    श्याम सुन्दर ‘दीप्ति’,    श्याम सुन्दर अग्रवाल,   सुकेश साहनी,   सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा,   सुरेन्द्र मंथन,  श्रीराम मीना,   सुगनचन्द्र मुक्तेश,   शरद कुमार मिश्र ‘शरद’,   श्रीराम ठाकुर दादा,   सूर्यकांत नागर,   डॉ. सतीश दुबे,   डॉ. सतीशराज पुष्करणा,    डॉ. स्वर्ण किरण,   शराफत अली खान,   सुरेश जांगिड़ ‘उदय’,   सुरेन्द्र वर्मा,   सिद्धेश्वर,   सिन्हा वीरेन्द्र,   सोमेश पुरी,   शिव शारदा,   सुधा भार्गव,   सन्तोष सुपेकर,   सुरेश शर्मा,   शील कौशिक,    सैली बलजीत,   युगल,   विष्णु नागर, विक्रम सोनी, विजय अग्रवाल, वसंत निरगुणे आदि। इनके अतिरिक्त प्रेमपाल शर्मा,   प्रेमकुमार मणि,   उदय प्रकाश,   रवीन्द्र वर्मा जैसे अनेक प्रतिष्ठित कथाकारों की लघुकथाएँ उनके कहानी-संग्रहों में संगृहीत हैं। नई पीढ़ी के लघुकथाकारों में शोभा रस्तोगी,   नीलिमा शर्मा,   कांता राय,   संदीप तोमर,   संध्या तिवारी आदि की लघुकथाओं के भी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। पत्र-पत्रिकाओं में सारिका,   शब्द,   युगदाह,   मिनीयुग,  लघु आघात,   वर्तमान जनगाथा,   आगमन,   कथा,   पृष्ठभूमि,   कर्म-चिन्तन,  साहित्यकार,   सानुबंध,   परख,   क्षितिज,   यू. एस. एम. पत्रिका,   समय,   अंचल भारती,  नया आकाश,   अवध पुष्पांजलि,   अवध अर्चना,   जगमग दीपज्योति,   क्रांतिमन्यु,   द्वीप लहरी,   सर्वोदय विश्ववाणी,   भारत सावित्राी,   सहकार संचय,   लहर,   अयन,   सम्बोधन,  साहित्य प्रोत्साहन,   युवा-रश्मि,   कथाघाट,   भागीरथी,   यथावत,   ज्योत्स्ना,   अमर उजाला,   दैनिक विश्व मानव,   दैनिक जागरण,   जनसत्ता,   जनसत्ता सबरंग,   नवभारत टाइम्स,   दैनिक हिन्दुस्तान,   कादम्बिनी,   राष्ट्रीय सहारा,   संडे मेल,   गंगा,   समान्तर,   गौरव,   उन्मुक्त,   प्रदीपशिखा,   अस्तित्व,   प्रयास,   छात्रा युवा दर्पण,   संग्राम,   अर्पण,   अग्रगामी,   पुष्पमित्र,   कथाबिम्ब,   पल-प्रतिपल,   बटोही,   यथार्थ,   अग्र प्रकाश,   पींग,  योजना,   आजकल,   दैनिक ट्रिब्यून,   अणुशक्ति,   मीतयुग,   हलाहल,   पहचान यात्रा,  हंस,   कथादेश,   पाखी,   नया ज्ञानोदय,   वागर्थ एवं अक्षरा,   अविराम साहित्यिकी,  लोकायत,   पुष्पांजलि,   हिन्दी चेतना (कनाडा),   निकट (अबू धाबी),   सेतु (अमेरिका),  विभोम-स्वर (अमेरिका),  पुरवाई (लन्दन)  आदि का नाम लघुकथा को नवीन रूपाकार देने वालों में सगर्व लिया जा सकता है। समकालीन लघुकथा पर केन्द्रित गोष्ठियों,   सेमिनारों तथा सम्मेलनों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अनेक संस्थाएँ समकालीन लघुकथाओं के नाट्य-रूपान्तर करने,   उनको मंचित करने तथा लघुकथा पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित करने जैसा जनाभिमुख कार्य करके इसकी लोकप्रियता को सिद्ध कर चुकी हैं। होशंगाबाद,   जबलपुर,   जलगाँव,   सिरसा,   धनबाद,   पटना,   बोकारो इस्पात नगर,   राँची,   रायपुर,   बरेली,   गया,   दिल्ली,   शाहदरा (दिल्ली),   इंदौर,   कोटा,   अमृतसर,   लुधियाना,   धर्मशाला,   कपूरथला,   कोटकपूरा,   गिद्दड़बाहा,   बनीखेत एवं डलहौजी आदि नगरों में हुए लघुकथा-सम्मेलनों का भी समकालीन लघुकथा के परिष्कार एवं विकास में यथेष्ट योगदान है। 18 दिसम्बर 2016 में हरियाणा के सिरसा जनपद में 'हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच' के तत्वाधान में विराट लघुकथा सम्मेलन का आयोजन हुआ।
प्रकारान्तर से जिन कथाकारों ने समकालीन लघुकथा के वर्तमान स्वरूप निर्धारण में अपनी रचनाओं के माध्यम से योग प्रदान किया है,   उनमें से कुछ प्रमुख कथाकारों का संक्षिप्त परिचय निम्नवत् प्रस्तुत है :
शेष आगामी अंक में…


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