मंगलवार, 14 मार्च 2017

समकालीन लघुकथा : विविध आयाम-8 / बलराम अग्रवाल



ूसरेध्याय आठवीं यानी समापन किस्त दिनांक 05-03-2017 से आगे 

सन् 2000 के बाद लघुकथा लेखन में 100 से अधिक कथाकारों के नाम सामने आ चुके हैं जिनमें अंकिता कुलश्रेष्ठ, अंतरा करवड़े, अर्चना तिवारी,  अर्चना त्रिपाठी, अलका महेश्वरी,  अनिता ललित,  अनिता मंडा, अमित कुमार मल्ल, आरती स्मित, आशा पाण्डे, उषा अग्रवाल ‘पारस’, उषा छाबड़ा, उर्मिला अग्रवाल,  उपमा शर्मा, ॠता शेखर, कंचन अपराजिता, कमल कपूर,  कपिल शास्त्री,   कान्ता राय,   कुणाल शर्मा, कुमार, कुसुम, कमला निखुर्पा,   कृष्णा वर्मा,   खेमकरण ‘सोमन’, गजेन्द्र रावत, चन्द्रेश कुमार छतलानी,  जानकी विष्ट वाही, ज्योत्स्ना सिंह/ज्योत्सना कपिल, त्रिलोक सिंह ठकुरेला,   दिनेश पारीक, देवराज संजू, देवेन्द्र गो. होलकर, नरेन्द्र कुमार गौड़,   नीरज शर्मा/नीरज सुधांशु, नीलिमा शर्मा, नीना अन्दोत्रा पठानिया, नेहा अग्रवाल ‘नि;शब्द’,  निरुपमा कपूर,  पवन जैन, पवन चौहान, पवित्रा अग्रवाल,  प्रियंका गुप्ता,   पूनम डोगरा,  पूनम आनन्द, पूर्णिमा शर्मा, पूरन सिंह,   पीयूष द्विवेदी ‘भारत’,  प्रतिभा श्रीवास्तव,  प्रेरणा गुप्ता, भारती वर्मा बौड़ाई, भावना सक्सेना,  मनोज सेवलकर, मणि बेन द्विवेदी,  मंजु मिश्रा,  मंजु शर्मा, मंजुश्री गुप्ता, मंजीत कौर ‘मीत’, मीना पाण्डे,   मुन्नूलाल,  मधु जैन, रचना श्रीवास्तव,     राधेश्याम भारतीय,   रामनिवास बाँयला, राजेन्द्र वामन काटदरे,  राहुल कुमार दोषी, रेखा रोहतगी, रेखा श्रीवास्तव, रेणुका चितकारा, रेवा अग्रवाल,  राशि पाधा,  रोहित शर्मा, रीता गुप्ता,  लता अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, ललित कुमार मिश्र, वसुन्धरा, विभा रानी श्रीवास्तव, विरेन्द्र वीर मेहता, विनीता राहुरीकर, शोभना श्याम, शेफाली पाण्डेय,  शील कौशिक,  सत्या शर्मा,  सुधा भार्गव,   सुधीर द्विवेदी,   सविता गुप्ता, सविता मिश्रा, सीमा जैन,   सीमा सिंह, सीमा स्मृति, संध्या तिवारी,   संदीप तोमर,    संयोगिता शर्मा, सीमा स्मृति,   सुधा ओम् ढींगरा,   सपना मांगलिक,   सुधा गुप्ता,     सुमन, सुषमा गुप्ता, सुमन कुमार घई,   सुनीता त्यागी, सुरेन्द्र कुमार पटेल, सुमित प्रताप सिंह, हरदीप कौर सन्धु, हेमधर शर्मा का नाम आसानी से लिया जा सकता है। 
अब तक विशेषतः ‘पड़ाव और पड़ताल’ शृंखला के 25 खण्डों में शामिल लघुकथाओं पर जिन विचारकों ने आलोचनात्मक कलम चलाई है अथवा जिन आलोचकों के महत्वपूर्ण आलेख उक्त श्रृंखला में उद्धृत किये जा चुके हैं,   उनके नाम का ससम्मान उल्लेख भी यहाँ आवश्यक है। वे हैंअनीता ललित,   डॉ. अनीता राकेश,   डॉ. अमरनाथ चौधरी ‘अब्ज’,   डॉ. अशोक लव,   डॉ. अशोक भाटिया,   अरुण अभिषेक,   डॉ. इसपाक अली,  डॉ. उमेश महादोषी,    ओमप्रकाश कश्यप,   डॉ. ओम प्रकाश ‘करुणेश’,   डॉ. कमल चोपड़ा,   कृष्णानन्द कृष्ण,   कृष्ण कमलेश,   डॉ. कमलकिशोर गोयनका, खेमकरण ‘सोमन’,     डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा,   जगदीश कश्यप,   आचार्य जगदीश पाण्डेय,     डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा,   डॉ. जितेन्द्र ‘जीतू’,  त्रिलोकसिंह ठकुरेला,  डॉ. ध्रुवकुमार,   डॉ. ब्रह्मवेद शर्मा,   डॉ. बलवेन्द्र सिंह,   प्रो. बी.एल. आच्छा,   डॉ. बलराम अग्रवाल,   डॉ. भारतेन्दु मिश्र,  भगीरथ,  महेन्द्र सिंह ‘महलान’,   महेश दर्पण,   डॉ. मलय पानेरी,   डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र,   प्रो. मृत्युंजय उपाध्याय,   माधव नागदा,   निशान्तर,   प्रो. फूलचन्द मानव,   प्रियंका गुप्ता,   डॉ. पुष्पा जमुआर,   पुष्पलता कश्यप,   पवन शर्मा,   डॉ. पुरुषोत्तम दुबे,   प्रतापसिंह सोढ़ी,   डॉ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल,  प्रो. रामसजन पाण्डेय,   प्रो. ऋषभदेव शर्मा,   डॉ. रश्मि,   रत्नकुमार साँभरिया,   रमेश खत्री,   रमेश बतरा,   राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’,   रामकुमार आत्रेय,   रामयतन यादव,   रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’,   डॉ. राकेश कुमार,   डॉ. राजेन्द्र टोकी,   प्रो. रूप देवगुण,   डॉ. वीरेन्द्र कुमार भारद्वाज,   डॉ. व्यासमणि त्रिपाठी,   विनय विश्वास, डॉ. शंकर प्रसाद,   डॉ. शिवनारायण,   श्यामसुन्दर अग्रवाल,   डॉ. श्यामसुन्दर दीप्ति,   डॉ. शशि निगम,   डॉ. शकुन्तला ‘किरण’,   प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा,  डॉ. शील कौशिक,    डॉ. सत्यवीर ‘मानव’,   डॉ. स्नेहलता श्रीवास्तव,   डॉ. स्नेह सुधा नवल,   डॉ. सुधा उपाध्याय,   डॉ. सतीश दुबे,   डॉ.  सुलेखचन्द्र शर्मा,   डॉ. सुभाष रस्तोगी,   प्रो. सुरेशचन्द्र गुप्त,   डॉ. स्वर्ण किरण,   सुकेश साहनी,   सुरेश यादव,   सुभाष नीरव,   सुभाष चन्दर,  सतीश राठी,   सूर्यकान्त नागर,   डॉ. सतीशराज पुष्करणा,     डॉ. हरीश नवल,   डॉ. हरनाम शर्मा,   हरदान हर्ष,   डॉ. हरीश अरोड़ा (नोट : इस सूची में कुछ वे नाम भी जोड़े हैं जो पुस्तक में नहीं जा पाए थे)
इस प्रकार हम पाते हैं कि ‘समकालीन हिन्दी लघुकथा’ में रचनात्मक एवं आलोचनात्मक दोनों ही कार्य आन्दोलन के स्तर पर सम्पन्न हुए हैं। सन् 1971 के उपरान्त हिन्दी की कोई भी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिका ऐसी नहीं बची जिसने ‘लघुकथा’ को प्रकाशित करना प्रारम्भ न कर दिया हो; यही नहीं,   हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं से प्रेरित होकर अन्य भारतीय भाषाओं में भी लघुकथा-लेखन का श्रीगणेश उनके कथाकारों ने किया। ‘श्रेष्ठ पंजाबी लघुकथाएँ’ (1996),   मलयालम की चर्चित लघुकथाएँ’ (1997),   पंजाब की चर्चित लघुकथाएँ’ (2004),   तेलुगु की मानक लघुकथाएँ’ (2010),    पड़ाव और पड़ताल खण्ड-12’(2014,   हिन्दीतर भाषाओं की लघुकथाओं का संकलन),   हरियाणा से लघुकथाएँ ’(2015),   पंजाब से लघुकथाएँ’ (2016) आदि तो इसकी जनप्रियता के उदाहरण हैं ही,   समकालीन हिन्दी लघुकथा’ के उद्भव और विकास की सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक परिस्थितियों के आकलन पर सन् 2003 में ‘द लघुकथा’ शीर्षक से जर्मनी की सुश्री इरा शर्मा वेलेरिया की अंग्रेजी पुस्तक केम्ब्रिज विश्वविद्यालय,   लन्दन तथा बर्लिन के प्रकाशन संस्थान ‘वॉल्तर द ग्रूते’ (Walter de Gruyter) से प्रकाशित हुई है। वर्ष 2014-15 में विश्व हिन्दी सचिवालय,   मॉरीशस द्वारा ‘अन्तर्राष्ट्रीय लघुकथा प्रतियोगिता’ आयोजित की गई जिसमें भौगोलिक क्षेत्र अफ्रीका व मध्यपूर्व से प्राप्त लेखकों की 5 लघुकथाएँ,   भौगोलिक क्षेत्र अमेरिका से प्राप्त लेखकों की 3 लघुकथाएँ,   भौगोलिक क्षेत्र एशिया व ऑस्ट्रेलिया (भारत के अतिरिक्त) से प्राप्त लेखकों की 4 लघुकथाएँ,   भौगोलिक क्षेत्र यूरोप से प्राप्त लेखकों की 3 लघुकथाएँ तथा भौगोलिक क्षेत्र भारत से प्राप्त लेखकों की 2 लघुकथाएँ,   पुरस्कृत घोषित की गई थीं। ये सभी लघुकथाएँ ‘पड़ाव और पड़ताल खण्ड-15’ में सम्मिलित हैं।
इसे हम समकालीन हिन्दी लघुकथा की विश्वव्याप्ति मान सकते हैं।

इस समूची श्रंखला में प्रकाशित सभी लेखों को एक जगह पढ़ने के लिए मँगाएँ…
हिन्दी लघुकथा का मनोविज्ञान, लेखक : बलराम अग्रवाल, प्रकाशक : राही प्रकाशन, एल-45, गली नं॰ 5, करतार नगर, दिल्ली-53

कोई टिप्पणी नहीं: