सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

रूप देवगुण से प्रश्न-बातचीत



प्रो॰ रूप देवगुण के सवालों के जवाब बलराम अग्रवाल द्वारा

                                                                    चित्र:बलराम अग्रवाल
हिन्दी लघुकथा के वरिष्ठ हस्ताक्षर प्रो॰ रूप देवगुण का एक प्रश्न-पत्रक कल प्राप्त हुआ है, साथ ही व्यक्तिगत अनुरोध भी कि उन्हें सहयोग अवश्य करूँ। बहुत सम्भव है कि उन्होंने यह पत्रक कुछ चुनिंदा लेखकों को ही भेजा हो; लेकिन बात क्योंकि 'लघुकथा के पूर्ण रूप से मूल्यांकन' की है इसलिए लघुकथा के चिंतक बंधुओं से अनुरोध है कि वे भी इस ज्ञान-यज्ञ में अपनी आहुति दें। उनके सभी प्रश्नों के मेरी ओर से उत्तर निम्नवत हैं :


1॰ आपकी प्रथम लघुकथा कब और किस समाचार-पत्र, पत्रिका में प्रकाशित हुई?
जून 1972 में, अश्विनी कुमार द्विवेदी के संपादन में लखनऊ (उ॰प्र॰) से प्रकाशित होने वाली कथा-पत्रिका ‘कात्यायनी’ में।
2॰ आपके कौन-कौन से लघुकथा-संग्रह प्रकाशित हुए हैं?
सरसों के फूल (1994); ‘सरसों के फूल’ की ही रचनाओं में 25 अन्य लघुकथाएँ व डॉ॰ कमल किशोर गोयनका तथा डॉ॰ किरनचन्द्र शर्मा के समीक्षात्मक आलेख जोड़कर ‘ज़ुबैदा’ (2004); ‘चन्ना चरनदास’ (2004, इसमें लघुकथाओं के साथ-साथ कुछ कहानियाँ भी संग्रहीत हैं।) अब, हालत यह है कि ‘सरसों के फूल’ का नाम सबसे पहले छपने के कारण लेना पड़ता है तो ‘ज़ुबैदा’ का इसलिए कि उसमें 25 लघुकथाएँ व दो आलेख अतिरिक्त हैं; तथा ‘चन्ना चरनदास’ का इसलिए कि लघुकथा तो उसमें भी हैं ही। इस तरह, सिर्फ लघुकथाओं का संग्रह तो एक ही है—‘सरसों के फूल’ या ‘ज़ुबैदा’। उनके बाद 100 के करीब लघुकथाएँ पुस्तक रूप में आने को तैयार हैं; लेकिन प्रकाशक तलाशने का जो संकट है उससे आप परिचित हैं ही।
3॰ आप द्वारा लघुकथा के संपादित संकलन कब और कौन से प्रकाशित हुए हैं?
परिहासिनी’ (1996, भारतेंदु हरिश्चन्द्र की व्यंग्य रचनाओं का संकलन), मलयालम की चर्चित लघुकथाएँ’ (1997; इस संकलन को आधार बनाकर तिरुअनंतपुर के रत्नेश कुमार आर॰ ने 2012 में केरल विश्वविद्यालय से 'हिन्दी तथा मलयालम की लघुकथाएँ:एक तुलनात्मक अध्ययन' विषय पर पीएच॰ डी॰ की उपाधि प्राप्त की।)  तेलुगु की मानक लघुकथाएँ’(2010), ‘दरवाज़ा’ (2005, प्रेमचंद की छोटी कहानियों का संकलन), ‘कलावती की शिक्षा’ (2007, जयशंकर प्रसाद की छोटी कहानियों का संकलन), ‘खलील जिब्रान’ (2012, खलील जिब्रान की विस्तृत जीवनी तथा उनके विभिन्न संग्रहों से शतकाधिक चुनिंदा लघुकथाओं का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद।); ‘पड़ाव और पड़ताल खण्ड-2’ (2014)
4॰ क्या आपने कभी लघुकथा सम्मेलन करवाया है? उसका विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
                        कभी नहीं।
5॰ आपकी लघुकथाएँ कौन-सी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं?
कभी इसका रिकार्ड नहीं रखा। जिनके नाम याद हैं, उनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं:
प्रिंट मीडिया में: कात्यायनी, सारिका, हंस, कथादेश, अक्षरपर्व, कथाक्रम, कथाबिंब, मिनीयुग, वर्तमान जनगाथा, सर्वोदय विश्ववाणी, अयन, संरचना, प्रकाशन समाचार, गगनांचल, भारत सावित्री, नवभारत टाइम्स, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, संडे मेल, आलेख संवाद, द्वीप लहरी, सनद, हिन्दी चेतना, सरस्वती सुमन, हरिगंधा, आजकल, लोकमत, इंडिया न्यूज़, लोकायत, वीणा, अविराम साहित्यिकी, परम्परा  आदि पत्र-पत्रिकाओं में 1972 से गाहे-बगाहे।
वेब पत्रिकाओं/ब्लागों में: सृजनगाथा, गर्भनाल, हिन्दी चेतना, अम्स्टेल गंगा, जनगाथा, वातायन, मंथन, हिंदी समय, गद्यकोश, आखर कलश, उदन्ती, साहित्य कुंज, अभिव्यक्ति आदि में।
6॰ आपकी लघुकथाओं ने कौन-कौन से संकलनों में स्थान पाया?
इसका भी कभी रिकार्ड नहीं रखा। बस इतना याद है कि मैंने सहयोगी आधार पर संपादित होने वाले किसी भी संकलन को अपनी रचनाएँ कभी नहीं दीं।
7॰ क्या आपने किसी ऐसी पत्रिका का संपादन किया, जिसमें लघुकथा को महत्वपूर्ण स्थान मिला हो?
प्रिंट फॉर्म में : ‘मिनियुग’ से मैं 1972 में उसके प्रकाशन की योजना के समय से ही जुड़ गया था। उसके एक अंक का जगदीश कश्यप से हटकर संपादन भी 1989 में किया; लेकिन वह योजना आगे चल नहीं पाई। तत्पश्चात वर्तमान जनगाथा  का 1993 से 1996 तक संपादन; लघुकथा संबंधी जिसके ‘पंजाबी लघुकथा विशेषांक’ तथा ‘मलयालम लघुकथा विशेषांक’ चर्चित रहे। अतिथि संपादन—‘सहकार संचय’ (जुलाई 1997), ‘द्वीप लहरी’ (पोर्ट ब्लेयर से प्रकाशित। अगस्त 2002 तथा जनवरी 2003); ‘आलेख संवाद’(जुलाई 2008) तथा ‘अविराम साहित्यिकी’ (अक्टूबर-दिसम्बर 2012)
इंटरनेट पर : 1॰ लघुकथा-केंद्रित मेरे लेखों व साक्षात्कारों की पत्रिका http://wwwlaghukatha-varta.blogspot.com
2॰ हिन्दी व हिन्दीतर भाषाओं की लघुकथाओं व लेखों की पत्रिका http://jangatha.blogspot.in/
3॰ मेरे स्वयं के कथाकर्म की पत्रिका
4॰ फेसबुक पर ‘लघुकथा साहित्य’ नाम से पेज़ व समूह दोनों का संचालन। इन दोनों ही लिंक्स पर लघुकथा संबंधी जानकारियाँ अपडेट की जाती रहती हैं तथा देश-विदेश के अनेक कथाकार इनसे जुड़े हैं। पेज़ का लिंक है:
तथा समूह का लिंक है:

8॰ क्या आपने कभी लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन किया। अगर किया तो उसका विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
                        नहीं।
9॰ क्या आपकी लघुकथाएँ पुरस्कृत हुईं? उनका शीर्षक व किस संस्था सेयह भी लिखिए।
शुरू-शुरू में प्रतियोगिताओं में लघुकथा भेजने व पुरस्कृत होने का चाव रहता था। कुछ लघुकथाएँ पुरस्कृत हुई भी; जिनमें ‘फुटबॉल’, ‘कुर्सी का बयान’, ‘बचावघर’ के नाम ही याद हैं। 1985-86 में राजस्थान के भाई महेन्द्र सिंह महलान का एक अफसोसभरा पोस्टकार्ड मिला, जिसका आशय था कि लघुकथा प्रतियोगिताएँ भी अब अपने-पराए का शिकार हो गई हैं। उसके बाद लघुकथा प्रतियोगिताओं में रचना भेजने से तौबा कर ली। पुरस्कृत कथाओं के वर्ष व संस्थाओं के नाम याद नहीं हैं। उनके द्वारा दिये गये प्रमाण-पत्र भी फाइलों में कहीं दबे पड़े हो सकते हैं।
10॰ आप लघुकथाकार के रूप में कहाँ से सम्मानित हुए? सम्मान का नाम व वर्ष भी लिखिए।
कपूरथला (पंजाब) 1997, मधुबन (हरियाणा) 2000, रायपुर (छत्तीसगढ़) 2008, पोर्ट ब्लेयर (अंडमान व निकोबार द्वीप समूह) 2008, बनीखेत (डलहौजी, हिमाचल) 2011
11॰ क्या आपने कभी किसी वरिष्ठ लघुकथाकार का साक्षात्कार किया? अगर हाँ, तो किसका और कब; और कहाँ प्रकाशित हुआ या फिर आपका लघुकथाकार के रूप में किसी ने साक्षात्कार किया हो, तो लिखिएगा।
मेरे द्वारा किए गये साक्षात्कार : (1) विष्णु प्रभाकर जी का; ‘वर्तमान जनगाथा’ में; यह साक्षत्कार ‘विष्णु प्रभाकर समग्र’ के ‘मेरे साक्षात्कार’ खण्ड में भी प्रकाशित है। (2) कमल किशोर गोयनका जी का; उनकी पुस्तक ‘लघुकथा का व्याकरण’ में।
लघुकथाकार के रूप में मेरा साक्षात्कार : (1) उमेश महादोषी द्वारा (संबोधन के लघुकथा विशेषांक में प्रकाशित), (2) अशोक मिश्र द्वारा (डेली मिलाप, हैदराबाद में प्रकाशित), (3) जितेन्द्र जीतू द्वारा (उनके शोध-ग्रंथ में प्रकाशित), (4) शोभा भारती द्वारा (उनके शोध-ग्रंथ में प्रकाशित), इरा वलेरिया सर्मा द्वारा (2003 में कैब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, यू॰के॰ तथा जर्मनी से अंग्रेजी में एक साथ प्रकाशित; उनके शोध-ग्रंथ ‘द लघुकथा’ में उल्लिखित) (5) प्रभा जैन द्वारा (संस्कार सुगंध में प्रकाशित) (6) सुरेश जांगिड़ ‘उदय’ द्वारा (7) डॉ॰ श्याम सुन्दर दीप्ति द्वारा; (8) (और अब, आपके द्वारा प्रेषित इस प्रश्नावली प्रपत्र को भी मैं लघुकथा पर साक्षात्कार या बातचीत करके मुझे सम्मान देनेवाला ही मानकर चल रहा हूँ।)
12॰ क्या आपका लघुकथा-संग्रह या संकलन पुरस्कृत हुआ? अगर हाँ, तो कब और किस संस्था से?
           नहीं।                 
13॰ क्या आपके लघुकथा साहित्य पर शोधकार्य हुआ? अगर हाँ, तो शोधकर्ता का नाम और शोध का शीर्षक लिखिए।
हाँ। ‘ज़ुबैदा’ पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से गायत्री सैनी ने लघु-शोध प्रस्तुत किया तथा एम॰ फिल्॰ की उपाधि प्राप्त की।
14॰ क्या आपने कभी लघुकथाओं का मंचन करवाया? हाँ, तो कहाँ और कब?
मंचन कभी नहीं करवाया; लेकिन ‘कथा नहीं’ (पृथ्वीराज अरोड़ा), ‘ब्लैक हॉर्स’ (जगदीश कश्यप), ‘रंग’ (अशोक भाटिया) आदि अनेक लघुकथाओं का नाट्य रूपांतर अवश्य किया। ये तीनों तो प्रकाशित भी हुए।
15॰ क्या आपने लघुकथा को लेकर आलेख लिखे? अगर लिखे तो उनके शीर्षक दीजिए और वे कहाँ प्रकाशित हुए, यह भी लिखिए।
अनेक आलेख। सभी के शीर्षक याद नहीं। दरअसल, कभी सोचा नहीं था कि इस बारे में कभी कुछ पूछा जायेगा, सो रिकार्ड कभी रखा नहीं। 1990-91 के दौरान लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी पत्रिका ‘उत्तर प्रदेश’ ने कई आलेख प्रकाशित किए थे। पत्रिका के अंकों को हैदराबाद का एक शोधार्थी माँगकर ले गया; लेकिन वापस नहीं कर पाया, सो उनका भी कोई रिकार्ड मेरे पास नहीं है। समय-समय पर ‘अवध पुष्पांजलि’ आदि विभिन्न पत्रिकाओं, संकलनों में लगभग लेख प्रकाशित होते रहे हैं। उन लेखों में से अनेक वेब पत्रिकाओं/ब्लॉगों पर भी। स्वयं मेरे द्वारा चलाए जा रहे ब्लॉग पर भी मेरे कुछेक आलेख और साक्षात्कार उपलब्ध हैं। लिंक है :
16॰ क्या आपका लघु्कथा-संग्रह किसी अन्य भाषा में अनूदित हुआ? या आपने किसी अन्य भाषा से लघुकथाओं या संग्रह का हिन्दी में अनुवाद किया? अगर हाँ, उसका वर्णन कीजिए।
पूरा संग्रह नहीं। ‘सरसों के फूल’ की लघुकथाओं का एक पाठिका ने तेलुगु में अनुवाद किया था; लेकिन वे उसे प्रकाशित नहीं करा पाईं। ‘सरसों के फूल’, ‘ज़ुबैदा’ व ‘चन्ना चरनदास’ की अनेक लघुकथाएँ समय-समय पर मराठी, तेलुगु, पंजाबी, गुजराती, मलयालम, निमाड़ी आदि में अवश्य अनूदित व प्रकाशित होती रही हैं।
मैंने ओ॰ हेनरी, चेखव, तोल्स्तोय, काफ्का, खलील जिब्रान आदि अनेक विदेशी कथाकारों की लघुकथाओं / कहानियों का अनुवाद अंग्रेजी से हिन्दी में किया है जो विभिन्न पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित भी होता रहा है। खलील जिब्रान की जीवनी व लघुकथाओं पर केंद्रित ‘खलील जिब्रान’ नाम से 2012 में पुस्तक भी प्रकाशित।
17॰ क्या आपका लघु्कथा-समीक्षा का कोई संग्रह या संकलन है? अगर हाँ, तो उसका वर्णन कीजिए।
समकालीन लघुकथा और प्रेमचंद’ (2012, प्रेमचंद की 14 लघ्वाकारीय कहानियों पर लघुकथा के परिप्रेक्ष्य में 29 विद्वानों के आलोचनापरक लेखों का संकलन)
18॰ लघुकथा क्षेत्र में इनसे अलग कुछ और आपकी उपलब्धियाँ हैं तो उनका भी वर्णन कीजिए।
दिल्ली दूरदर्शन के ‘पत्रिका’ कार्यक्रम में बलराम, राजकुमार गौतम व मुझ (बलराम अग्रवाल) से हिन्दी लघुकथा से जुड़े अनेक मुद्दों पर डॉ॰ अवनिजेश अवस्थी ने 1992 में लम्बी बातचीत की। आकाशवाणी दिल्ली से लघुकथा संबंधी अनेक वार्ताएँ बलराम, राजकुमार सैनी, सुभाष नीरव आदि के साथ तथा एकल लेख वाचन भी समय-समय पर प्रसारित।