डॉ॰ शकुन्तला किरण |
'नवभारत लघुकथा अंक' पृष्ठ 3 (पन्ने का ऊपरी बायाँ भाग) |
'नवभारत लघुकथा अंक'पृष्ठ 3 (पन्ने का ऊपरी दायां भाग) |
'नवभारत लघुकथा अंक' |
पृष्ठ 3 (बायां निचला भाग) |
'नवभारत लघुकथा अंक' पृष्ठ 3 (पन्ने का निचला दायां भाग) |
'नवभारत लघुकथा अंक' पृष्ठ 3 (पन्ने का निचला दायां भाग, दूसरा चित्र) |
'नवभारत लघुकथा अंक' पृष्ठ 4 (दायां ऊपरी भाग) |
'नवभारत लघुकथा अंक' पृष्ठ 4 ((पन्ने का निचला बायां भाग)) |
1 टिप्पणी:
वर्तमान काल में अनगिनित लघुकथाओं की भीड़ में कम ही रचनाएं ऐसी नजर आती है जिनपर मंथन किया जा सके लेकिन अतीत की ये लघुकथाएं सहज ही कुछ न कुछ कहती नजर आती हैं। (हालांकि कुछ रचनाएं बिल्कुल पढ़ने में नहीं आयी, अस्पष्टता के कारण)
ऐसी सामग्री हम नए लघुकथाकारों के लिए बहुत उपयोगी है।
हार्दिक साधुवाद सहित। 💐
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