रविवार, 3 जुलाई 2022

मेरी स्मृति में लघुकथा कार्यशाला : जया आर्य 

मध्यप्रदेश हिंदी लेखिका संघ द्वारा अयोजित 

लघुकथा पर कार्यशाला- दिनांक 23.7. 2017 


मुख्य अतिथि : आदरणीय श्री बलराम अग्रवाल

अध्यक्षता : आदरणीया श्रीमती अनिता सक्सेना

संयोजिका : लघुकथा विशेषज्ञ श्रीमती कांता रॉय।

आदरणीय, मैं जया आर्य तमिल भाषी हूँ। ब्रॉडकास्टर, ट्रेनर और सोशल वर्कर हूं। मध्यप्रदेश की सबसे सीनियर विविध भारती की ख्याति प्राप्त उद्घोषिका रही। अपने समर्पण के कारण शांतिनिकेतन महिला कल्याण समिति की अध्यक्ष होते हुए महिलाओं, बच्चों और नशे से पीड़ित युवकों के शिक्षण-प्रशिक्षण और पुनर्वास का कार्य किया। प्रदेश के जेलों में और शासन द्वारा संचालित सम्पूर्ण साक्षरता अभियान में राष्ट्रभाषा परीक्षायें संचालित कीं। प्रत्येक परीक्षा में उतीर्ण होने पर कैदियों को सज़ा में दो महीने की छूट मिलती है।

तीन बार प्रदेश के राज्यपाल द्वारा सम्मानित। एक बार त्रिपुरा के राज्यपाल द्वारा सम्मानित। सुनामी पीड़ितों के लिए कार्य करने पर मुख्य सचिव द्वारा सम्मानित। रोटरी में प्रेजिडेंट और सेक्रेट्री बन झुग्गियों में काम कर बेड प्रेसीडेन्ट और बेड सेक्रेटरी एवार्ड लिया।

सेवानिवृत्त होकर दो वर्ष तक इंडस्ट्री में एच आर हेड का कार्य किया। इसके लिए मुम्बई पॉलिटेक्निक से एच आर, हेल्थ एनवायरनमेंट एंड सेफ्टी, आई एस ओ 2001-2008 में सॉफ्ट स्किल्स में डिप्लोमा कोर्स किया। अमेरिकन इंस्टीट्यूट टेसोल से ट्रेनर्स ट्रेनिंग कर अब बैंक और कॉलेज में ट्रेनिंग देती हूँ।

मेरी विदेश यात्राएँ

1.अंतर्राष्टीय प्रौढ़ शिक्षा संघ द्वारा आयरलैंड में आयोजित कॉन्फ्रेंस--1992 में।

2.वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय संस्था सेड़पा द्वारा कोच की ट्रेनिंग--1996 में।

3. अंतरराष्ट्रीय रोटरी फाउंडेशन द्वारा आयोजित कांफ्रेंस बैंकॉक--2008 में।

4. सातवाँ अंतरराष्ट्रीय विश्व हिंदी साहित्य सम्मेलन यूरोप हंगरी--2017 में (साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित)।

५. यू एस--व्यक्तिगत यात्रा 8 बार।

बड़े सम्मान के साथ मैं आदरणीय बलराम अग्रवाल जी का कार्यशाला का वृत्तांत प्रस्तुत करती हूँ।

आदरणीय कांता जी के संपर्क में आकर लेखन कार्य आरंभ किया। फेसबुक पर कथा लिखना समझ से परे था, पर परिंदों के बीच पहुंची। विषय मिले। स्पष्ट मार्गदर्शन मिला। इस प्रकार मैं कह सकती हूं कि एक अनाड़ी को इन्होंने कथाकार बना दिया। प्रोत्साहन अनिता सक्सेना जी और उषा जैसवाल जी ने भी दिया, पर लघुकथा की बारीकियों पर बार-बार चोट कर, प्रहार किया। मैं तो लेखन कार्य टाइपिंग और फेसबुक के माध्यम से जानती ही नहीं थी। अब गर्व के साथ बताना चाहूंगी कि लघुकथा की विधा को जैसे कांता जी ने सुझाया, वही सब आदरणीय बलराम अग्रवाल जी ने  विस्तार से कहा।

23 जुलाई, 2017 को प्रतीक्षा थी माननीय श्री बलराम अग्रवाल जी की। बाबत ही सहज व्यक्ति के समान आपने सभागृह में प्रवेश लिया। हमने बुज़ुर्ग व्यक्ति की कल्पना की थी।

आपने किसी औपचारिकता की अपेक्षा नहीं की। आपका स्वागत पुस्तक और स्वागत भाषण से हुआ। फिर आपका वक्तव्य।

उन्होंने कहा--लिखते समय हम विद्वान न हो जाएँ। तुलसीदास जी ने अवधी में लिखा जो आमजन की भाषा है। गांधी जी आमजन के नेता थे। स्वामी विवेकानंद ने आम जनता के लिए आंदोलन किया। स्व-विवेक से लिखें।लेखन नीरस न हो, रसपूर्ण हो, शुष्कता न हो, कथानक और कथ्य में अंतर समझना चाहिए। लघुकथा कहानी का संकुचन नहीं है, चुटकुले से भी लघुकथा आरम्भ हो सकता है। शुरुआत में सभी दूसरों के समान बनना चाहते हैं। जैसे लता मंगेशकर जी ने नूरजहाँ के समान गाया, मुकेश ने के. एल. सहगल के समान गाया। बाद में उनकी कला निखरी और पारंगत हुए। अपनी स्वयं की शैली विकसित की।

हमारा शब्द भंडार विकसित होना चाहिए। इसके लिए अध्ययन करना चाहिए। संवाद बोलचाल के हों। रचना में स्वतः प्रौढ़ता आती जाएगी। साहित्यिक कार्यो में लगने के लिए धन भी खर्च करना पड़ता है। पुस्तकें खरीदिए। स्तरीय संस्थाओं से जुड़िए।

लघुकथा दृश्यात्मक हो। लिखा हुआ दृश्य की तरह दिखाई देनी चाहिए। व्यंग्यात्मक हो और कलात्मक हो। उसे एक बार लिखकर दूसरी बार, तीसरी बार लिखें, स्वयं पढ़ें। निखार आएगा।प्रौढ़ता अपने आप में एक वरदान है।

उन्होंने कहा श्याम सुंदर व्यास और कृष्ण कमलेश की लघुकथाएं पढ़ें।

कालखंड दोष से मुक्त हों। कथानक विस्तार न हो, पर पाठक को सोचने को बाध्य कर दे।

जो कुछ कहना हो पात्रों से कहलवाएँ, स्वयं उपस्थित न हों। पाठक की समझ पर विश्वास करें।

समर्पित लेखन दिशा प्रदान करता है।

बाद में प्रश्नोत्तरी हुई। स्वच्छन्द वातावरण में हम जैसे नव-लेखकों के शंकाओं का समाधान हुआ।

आभार के साथ सत्र का समापन हुआ। 

कांता जी जो हज़ारों परिंदों को मार्गदर्शन देती हैं, खमोशी से सुनती रही और मार्गदर्शन देती रही।

आभार उपाध्यक्ष श्रीमती राधारानी चौहान ने प्रस्तुत किया।

धन्यवाद।

जया आर्य

D4 शालीमार गार्डन,  

कोलार रोड, भोपाल-462042 म प्र
aryajaya@yahoo.com
Mobile -9826066904

4 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

जया जी, आपने श्री बलराम अग्रवाल जी के अध्यक्षता और श्रीमती कांता राय जी के संयोजन में आयोजित लघुकथा कार्यशाला की संक्षिप्त रपट जितनी सहजता प्रस्तुत की है, श्लाघनीय है। हार्दिक बधाई और अभिनन्दन!

बेनामी ने कहा…

बहुत-बहुत धन्यवाद जया जी । आपने बहुत बढ़िया रिपोर्ट प्रस्तुत की है । बहुत यादगार गोष्ठी की याद दिला दी सच में आदरणीय बलराम जी ने हम सभी को बहुत बढ़िया से लघुकथा के बारे में मार्गदर्शन दिया था । 👌👌👌

Vibha Rashmi ने कहा…

जया आर्य जी से लघुकथा सम्मेलन मिलना हुआ है । लघुकथाएँ भी पढ़ीं है आपकी । आप अच्छा लिख रही हैं । भोपाल में हाल ही में संपन्न हुई लघुकथा कार्यशाला की सिलसिलेवार रिपोर्टिंग के लिये जया जी को बधाई । स्नेही कांता को बधाई ।बलराम भाई लघुकथा के मर्मज्ञ हैं । कार्यशाला में उनके उद्बोधन से सभी लाभांवित हुए होंगे । सभी जिज्ञासाओं का समाधान हुआ । भोपाल के लघुकथा परिवार को बधाई । वैसे भी एम .पी .की धरती लघुकथा के लिये उर्वरक सिद्ध हुई है । बधाई । तथास्तु ।

www.akhilelsh singh shrivastava article writer ने कहा…

बहुत सार्थक कार्यक्रम। बधाई आदरणीया जया जी।