[अनेक मित्रों के अनेक पत्र आते हैं; लेकिन निश्छल अभिव्यक्ति वाले विरले ही होते हैं। जीवन में ऐसे पत्र किसी मेडल से कम नहीं होते। यह पत्र भी मेरे सीने पर किसी अमूल्य मेडल से कम नहीं। इस सौभाग्य के लिए 'आभार' बहुत छोटा शब्द है और गैर-जरूरी भी। हाँ, इतना अवश्य कहूँगा कि जोधपुर ने मुझे अपेक्षा से अधिक ही दिया। प्रस्तुत है मूल पत्र और उसकी प्रतिलिपि भी।]
• प्रेम प्रकाश व्यासश्री कैलाश कुंज, 17- ई- 716, चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड, नंदनवन, जोधपुर-342008 राजस्थान
मोबाइल : 8696477006
आदरणीय बलराम जी अग्रवाल साहब,
सादर अभिवादन
जयनारायण विश्वविद्यालय के बृहस्पति सभागार में, परम सम्माननीय माधव जी नागदा के पुरुस्कार समारोह में, आपके लेखकीय संसार से परिचय हुआ। आपका सम्बोधन वस्तुत: मेरे जैसे श्रोता के लिए तो एक कक्षा में बैठकर, भाषा प्रवक्ता के शिक्षा प्राप्त करने जैसा था। आपने जिस प्रकार भाषा, कहानी लघुकथा व अन्य विधाओं पर गवेषणात्मक वक्तव्य दिया, वह मेरे लिए प्रथम अभूतपूर्व अनुभव था। विगत कई वर्षों से कहानी लेखन के पश्चात् वर्ष 2014 में प्रथम कहानी संग्रह प्रकाशित किया था। उसकी एक प्रति आपको प्रेषित कर रहा हूँ, इस आशा के साथ कि आप अपने व्यस्ततम कार्यक्रम के से, यदा-कदा कुछ समय निकालकर इसे पढ़कर, दो पंक्तियाँ इस लेखक को भी प्रेषित करेंगे। (यहाँ यह भी उल्लेख करना चाहूँगा कि, आपके पास तो प्रतिदिन न जाने कितने लोकद्रों की कितनी पुस्तकें डाक से इसी अपेक्षा में आती होगी, यह मैं जनता हूँ !)
मेरे अल्प लेखकीय जीवन में, मुझे स्मृति में नहीं आता, जब मैने कभी ऐसा विश्लेणात्मक व्याख्यान, हिन्दी कहानी को लेकर सुना हो, जैसा उस अवसर पर आपसे सुना।
आपसे संवाद की आकांक्षा के साथ।
विनीत
(हस्ताक्षर)
प्रेमप्रकाश व्यास
संलग्न : कहानी संग्रह 'अंकित व अन्य कहानियाँ
पुनश्च : अगस्त 2022 में दूसरा कहानी संग्रह 'जुगलबंदी' प्रकाशित हो रहा है। उसे भी आपको प्रेषित करने की आज्ञा चाहूँगा।
कथाकार प्रेम प्रकाश व्यास, जोधपुर |
जन्म 1955 जोधपुर, विश्वविद्यालय से ही एम. एससी., वनस्पतिशास्त्र, बी. एड. एम. एड., एम. बी. ए. कर शिक्षा विभाग में नौकरी की। पूरा कार्यकाल बाड़मेर में ही व्यतीत किया और जिला शिक्षा अधिकारी पद से सेवानिवृत्त।
लेखन का प्रारंभ पत्रकारिता से। उस समय के समाचार-पत्रों जलते दीप, तरुण राजस्थान व जनगण में लगातार विज्ञान विषयक कॉलम निरंतर दस वर्षों तक लिखते लिखते कविता लेखन प्रारंभ। कविता-संग्रह 'तितलियाँ' का प्रकाशन भी बाड़मेर में । साथ-साथ कहानियाँ भी लिखी।
प्रारंभिक दौर की कहानियाँ छपीं, पर वे अपरिपक्व-सी थी। कालांतर में हंस, कथाक्रम, सम्बोधन, मधुमती, इतवारी पत्रिका में कहानियाँ छपी।
लेखन मानसिक परितृप्ति के लिए अनिवार्य-सा लगता है, इसलिए लेखन जारी ही रहता है। 'हंस' को भेजी इसी संग्रह की लम्बी कहानी 'अंकित' को राजेन्द्र यादव जी ने लौटाते समय, हाथ से लिखा छोटा-सा पत्र साथ में भेजा था, "कहानी बहुत अच्छी है, पर इसे सम्पादित कर छोटी कर दें तो छप सकती है।" प्रयास किया पर न कर सका। सो छपी नहीं। पर एक सबक लिया, जो कुछ लिखा है, उसे बदलना नहीं, भले ही न छपे।
संप्रति : चौपासनी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में प्राचार्य।
पता : श्री कैलाश कुंज 17-ई-76, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, जोधपुर।
मोबाइल: 86964-77006
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